Jul 5, 2023
सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू हो चुका है। इस महीने में कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाती है।
Credit: BCCL/Social-Media
सावन महीने में शिव भक्त अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए गंगा जल लाते हैं और उससे भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
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परशुराम जी को पहला कांवड़िया माना जाता है। हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर से कांवड़ में जल लेकर परशुराम पे बागपत के पुरा महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया।
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भगवान राम ने सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ से गंगाजल भरकर देवघर में शिव का जलाभिषेक किया था। यह बात तब की है जब राजा सगर के 60 हजार पुत्रों के उद्धार के लिए भागीरथ गंगा लेकर निकले थे।
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रावण ने भगवान शिव द्वारा ग्रहण किए गए विष के असर को खत्म करने के लिए तपस्या की और हरिद्वार से जल लेकर बागपत के पुरा महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया।
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श्रवण कुमार को पहला कांवड़िया माना जाता है। उन्होंने माता पिता को लेकर हिमाचल के ऊना से हरिद्वार तक यात्रा कराई।
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विष्णु पुराण और लिङ्ग पुराण में कांवड़ यात्रा से संबंधित इन बातों का जिक्र मिलता है।
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भगवान शिव ने जब विष ग्रहण किया तो सभी देवता मिलकर गंगासे जल लेकर आए और भगवान शिव पर अर्पित कर दिया। उस समय सावन मास चल रहा था। मान्यता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो गई थी।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कांवड़ यात्रा करने से भगवान शिव सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं!
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