जन्मकुंडली में सूर्य और राहू के योग और दृष्टि पात से पितृदोष बनता है। ये दोष व्यक्ति के सारे सुखों को छीन लेता है।
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पितृदोष से पीड़ित कुंडली शापित कुंडली कही जाती है।
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क्यों लगता है पितृदोष
परिवार में किसी की अकाल मृत्यु होने से, माता-पिता का अपमान करने से, मरने के बाद माता-पिता का सही विधि से क्रियाकर्म न करने से और वार्षिक श्राद्ध न करने से पितरों का दोष लगता है।
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पितृदोष का प्रभाव
पितृदोष के कारण परिवार में अशांति, कलह, संतान प्राप्ति में रुकावट, आकस्मिक बीमारी, संकट, धन का नाश या कई बार सबकुछ होते हुए भी मन परेशान रहता है।
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एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जाता है पितृ दोष
यह दोष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाता है यानि यदि पिता पर पितृदोष है तो संतान की कुंडली में भी ये दोष आ जाएगा।
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इन योगों के होने पर लगता है पितृ-दोष
राहु अगर कुंडली के केंद्र स्थानों या त्रिकोण में हो या अगर राहु का सम्बन्ध सूर्य या चन्द्र से हो या अगर राहु का सम्बन्ध शनि या बृहस्पति से हो या राहु अगर द्वितीय या अष्टम भाव में हो।
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पितृदोष के उपाय
घर में श्रीमद्भागवत के गजेंद्र मोक्ष अध्याय का पाठ करें। साथ ही हर चतुर्दशी में पीपल के पेड़ पर दूध चढ़ाएं।
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ऐसे दूर होगा पितृ दोष
अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों को भोजन कराएं। इस भोजन में मरने वाले व्यक्ति की पसंद की कम से कम एक चीज जरूर रखें।
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