May 30, 2023
अवनि बागरोलाहर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के रूप में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
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निर्जला एकादशी पर व्रत रखना, कथा का पाठ करना और दान दक्षिणा वाला अच्छा काम करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है।
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निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। विधिपूर्वक पूजन और व्रत करने से जातकों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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निर्जला एकादशी के व्रत को रखने और विधिपूर्वक पूरा करने के लिए बहुत से नियम होते हैं। मान्यता है कि, श्री हरी के पूजन में तुलसी और गंगाजल का खास उपयोग होता है।
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निर्जला एकादशी व्रत को सभी व्रतों में सबसे ज्यादा कठिन और मान्यता प्राप्त माना जाता है। इस दिन सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक कुछ खाना और पीना नहीं होता है।
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निर्जला एकादशी व्रत का लाभ लेना है, तो एकादशी तिथि पर कुछ खाना नहीं होता है। व्रत नहीं रख रहे हैं, तो भी तामसिक खाना या मदिरा से दूर रहें।
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मांस, लहसुन, प्याज के साथ साथ एकादशी को अच्छे से रखने के लिए चावल भी नहीं खाने चाहिए।
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निर्जला एकादशी व्रत में सबसे ज्यादा महत्व पानी न पीने का ही रहता है, व्रत को विधिवत संपन्न करने के लिए आपको पारण के बाद ही पानी पीना होता है।
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इस गर्मी वाले मौसम में अगर आपको व्रत के वक्त बहुत प्यास लग रही है, तो ऐसे में आप 12 बार ऊँ नमो नारायणाय मंत्र का जाप कर सकते हैं। साथ ही कुल्ला कर पानी बाहर फैंक देने से भी व्रत नहीं टूटता है।
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