Feb 18, 2025
नर्मदा को मां नर्मदा के रूप में पूजा जाता है और इस पवित्र नदी को भगवान शिव की पुत्री भी माना जाता है। मान्यता है कि इस नदी में स्नान और ध्यान करने से दैवी शक्तियों की प्राप्ति होती है।
Credit: canva
नर्मदा नदी की पावन जलधारा में पाए जाने वाले पत्थर शिवलिंग के आकार के होते हैं। इन्हें स्वयंभू भी कहा जाता है। इन्हें नर्मदेश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है।
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नर्मदा नदी के पास स्थित ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्वयं भगवान शिव के निवास माने जाते हैं जिससे इस नदी के पत्थरों को शिवलिंग का स्वरूप मानकर पूजा जाता है।
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स्कंद पुराण और शिव पुराण के अनुसार नर्मदा नदी ने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप उन्हें भगवान शिव की पुत्री होने का वरदान मिला था।
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मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने नर्मदा को वरदान दिया था कि उनके प्रवाह में मिलने वाले पत्थरों की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाएगी, जिससे भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होगी।
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नर्मदेश्वर शिवलिंग की विशेषता ये है कि इन्हें बिना प्राण प्रतिष्ठा के पूजा जा सकता है। इन्हें घर के मंदिर में रखना अत्यंत ही शुभ माना जाता है।
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नर्मदा नदी के पत्थरों में विशेष ऊर्जा और चुंबकीय गुण होते हैं। इनकी पूजा करने जातक को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और मानसिक शांति प्राप्त हो सकती है।
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नर्मदा नदी में पाए जाने वाले शिवलिंग विभिन्न आकारों और रंगों के होते हैं। इनमें पंचमुखी शिवलिंग अत्यधिक शुभ माने जाते हैं।
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नर्मदेश्वर शिवलिंग को तांत्रिक साधनाओं में भी उपयोग किया जाता है। इनकी पूजा से विशेष सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। इनके पूजन से रोग-दोषों से मुक्ति मिलती है।
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