Jan 14, 2023
By: लवीना शर्माCredit: iStock
आमतौर पर महिलाएं लाल रंग का सिंदूर लगाती हैं लेकिन बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी में नारंगी सिंदूर लगाया जाता है। नई दुल्हन की मांग इसी रंग के सिंदूर से भरी जाती है।
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नारंगी सिंदूर को भखरा कहा जाता है। ये बेहद शुभ माना जाता है। देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भी नांरगी सिंदूर का इस्तेमाल किया जाता है।
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शादी में दुल्हन को सिंदूर सुबह के समय लगाया जाता है। नारंगी सिंदूर की तुलना सुबह होने के समय सूर्य की लालिमा से की गई है, जिसका रंग नांरगी होता है।
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नारंगी सिंदूर लगाने के पीछे ये मान्यता है कि जिस तरह सूरज लोगों की जिंदगी में नया सवेरा , खुशहाली और उमंग लाता है वैसे ही नारंगी सिंदूर भी दुल्हन की जिंदगी में खुशहाली लाता है।
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क्या आपने कभी सोचा है कि हनुमान जी की मूर्ति का रंग नारंगी क्यों होता है? इसके साक्ष्य सीधे रामायण में मिलते हैं।
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पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन माता सीता मांग में सिंदूर भर रही थी। तभी हनुमान जी ने उनसें पूछा कि हे माता आप सिंदूर क्यों लगाती हैं। माता सीता ने कहा कि स्वामी श्रीराम की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए में सिंदूर लगाती हैं।
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ऐसा सुन हनुमान जी ने सोचा कि अगर थोड़ा सा सिंदूर लगाने से प्रभु को इतना लाभ है तो पूरे शरीर पर सिंदूर लगाने से प्रभु श्रीराम अमर हो जाएंगे। उस दिन से हनुमान जी पूरे शरीर पर सिंदूर लगाने लगे।
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यही कारण है कि बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में शादी के दिन दुल्हन को नारंगी सिंदूर लगाया जाता है। नारंगी सिंदूर लगाने से पति की लंबी उम्र होने के साथ-साथ शादीशुदा जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
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