Dec 2, 2023

एक बाण से खत्म हो सकता था महाभारत युद्ध, कौरवों की होती विजय

Laveena Sharma

महाभारत युद्ध

महाभारत युद्ध में भगवान श्री कृष्ण पाण्डवों के साथ थे। जिससे ये निश्चित था कि कौरव सेना भले ही अधिक शक्तिशाली है लेकिन जीत पाण्डवों की ही होगी।

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युद्ध से पहले क्या हुआ

महाभारत युद्ध के समय भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने अपनी माता को वचन दिया कि युद्ध में जो भी पक्ष हारेगा वह उनकी ओर से ही लड़ेंगे।

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महाभारत का सबसे शक्तिशाली योद्धा

बर्बरीक ने महादेव को प्रसन्न कर उनसे तीन अजेय बाण प्राप्त किये थे। भगवान श्री कृष्ण को जब बर्बरीक की ये योजना पता चली कि युद्ध में जो हारने वाला होगा बर्बरीक उसका साथ देंगे। तब भगवान कृष्ण ने एक छल किया।

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श्री कृष्ण को करना पड़ा छल

श्री कृष्ण ब्राह्मण का वेष धारण करके बर्बरीक के पास पहुंचे। उन्होंने बर्बरीक का मजाक उड़ाते हुए कहा कि वह भला तीन बाण से क्या युद्ध लड़ेगा। बर्बरीक ने कहा कि उसके पास अजेय बाण है। वह एक बाण से ही पूरी शत्रु सेना का अंत कर सकता है।

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श्री कृष्ण ने ली परीक्षा

श्री कृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि हम जिस पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हैं अपने एक बाण से उसके सभी पत्तों को छेद कर दो तो ही मैं मानूंगा कि तुम एक बाण से युद्घ का परिणाम बदल सकते हो।

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परीक्षा में खरे उतरे बर्बरीक

बर्बरीक ने भगवान का स्मरण करके एक ही बाण में पेड़ पर लगे पत्तों के साथ ही नीचे गिरे पत्तों में भी छेद दिया। इसके बाद बाण श्री कृष्ण के पैरों के चारों ओर घूमने लगा क्योंकि एक पत्ता भगवान के चरणों के नीचे दबा था।

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अधर्म की होती जीत

बर्बरीक ने श्रीकृष्ण से कहा कि वह अपना पैर पत्ते से हटा लें ताकि तीर अपना कार्य पूरा कर सके। श्री कृष्ण जानते थे कि युद्ध में विजय पाण्डवों की होगी लेकिन अगर बर्बरीक कौरवों की तरफ से लड़ते हैं तो पांडवों की हार होगी। क्योंकि बर्बरीक ने माता को वचन दिया था कि जो हारेगा वो उसका साथ देंगे।

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श्री कृष्ण ने बर्बरीक से मांगा दान

ब्राह्मण वेषधारी श्री कृष्ण ने बर्बरीक से दान की इच्छा प्रकट की। श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका सिर दान में मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि ये कोई ब्राह्मण नहीं है। बर्बरीक ने कहा कि आप अपना वास्तविक परिचय दीजिए।

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बर्बरीक ने रखी शर्त

श्री कृष्ण अपने वास्तिवक रूप में आ गए। सच जानने के बाद भी बर्बरीक ने सिर देना स्वीकार कर लिया लेकिन साथ में एक शर्त रखी कि वह महाभारत युद्ध को शुरू से अंत तक देखने की इच्छा चाहते हैं।

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दान में दे दिया अपना शीश

भगवान ने बर्बरीक की युद्ध देखने की इच्छा पूरी की। भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से बर्बरीक का सिर काटकर सिर पर अमृत का छिड़काव कर दिया और सिर को एक पहाड़ी के ऊंचे टीले पर रख दिया। जहां से बर्बरीक के सिर ने पूरा युद्ध देखा।

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