Dec 22, 2023

लहसुन-प्याज शाकाहार हैं या मांसाहार? आखिर व्रत-पूजा में क्यों होती है खाने की मनाही

Srishti

भगवान का भोग

अक्सर आपने सुना होगा कि ब्राह्मण और जो व्यक्ति व्रत रखते हैं वो लहसुन और प्याज खाने से परहेज करते हैं। यहां तक कि भगवान के भोग में भी इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

Credit: canva

भेदभाव क्यों?

यूं तो लहसुन-प्याज सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है फिर ये भेदभाव क्यों? क्या आप क्या जानते हैं कि असल में इसके पीछे की वजह क्या है?

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तीन तरह के भोजन

दरअसल, वेद-शास्त्रों के अनुसार, भोजन के तीन प्रकार होते हैं। पहला भोजन सात्विक, दूसरा राजसिक और तीसरा तामसिक भोजन।

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​सात्विक भोजन​

माना जाता है कि जो व्यक्ति सात्विक भोजन यानी दूध, घी, आटा, सब्जियां, फल आदि का सेवन करता है, तो उनके अंदर सत्व गुण सबसे अधिक होते हैं।

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​राजसिक भोजन ​

वहीं, शास्त्रों के अनुसार राजसिक भोजन यानी नमक, मिर्च, मसाले, केसर, अंडे, मछली आदि खाने वाले लोगों का मन अधिक चंचल होता है और ये लोग संसार में प्रवृत्त होते हैं।

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​तामसिक भोजन​

वेद -शास्त्रों के अनुसार, लहसुन और प्याज तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है। माना जाता है कि इन दोनों चीजों का सेवन करने से व्यक्ति अंदर रक्त का प्रवाह बढ़ या फिर घट जाता है।

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गुस्सा और अंहकार

ऐसे में व्यक्ति को अधिक गुस्सा, अंहकार, उत्तेजना, विलासिता का अनुभव होता है। इसके साथ ही वह आलसी और अज्ञानी भी हो जाता है।

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​ब्राह्मण नहीं खाते ​

यही कारण है कि ब्राह्मणों के अलावा पूजा पाठ करने वाले लोग भी लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करते हैं।

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​पौराणिक कथा​

वहीं, एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने जिस राक्षस का वध किया था लहसुन-प्याज उसके खुन से उत्पन्न हुए थे।

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