लवीना शर्मा
Jun 19, 2023
कई हजारों वर्ष पहले आदियोगी हिमालय में प्रकट हुए। वे या तो परमानंद में मग्न होकर नाचने लगते या शांत भाव से स्थिर होकर बैठ जाते। इस स्थिति में उनकी आंखों से बहते आंसू ही उनके जीवित होने का प्रमाण देते।
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बचे हुए साधकों ने आदियोगी से याचना की और कहा - हम जानना चाहते हैं कि आप क्या हैं।
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शिव ने उन साधकों से कहा, अरे मूर्खों, तुम लोग जिस हाल में हो, 10 लाख साल में भी जान नहीं पाओगे। इसके लिए तैयारी की जरूरत होती है।
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सातों साधक सालों तैयारी करते रहे। चौरासी साल की साधना के बाद दक्षिणायन के प्रारंभ के समय आदियोगी ने जब उन पर नजर डाली तो देखा कि वे सभी ज्ञान पुंज की तरह जगमगा रहे थे।
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पूरे 28 दिनों तक शिव जी ने उन साधकों का निरीक्षण किया। इस दौरान शिव ने उन्हें नजदीक से देखा।
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साधकों को करीब से देखने के बाद पूर्ण चंद्रमा की रात को शिव ने अपने आपको प्रथम गुरु या आदि गुरु के रूप में बदल दिया।
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आदियोगी ने कांति सरोवर के तट पर अपने पहले सात शिष्यों को योग विज्ञान की शिक्षा देना आरंभ किया। यही सात शिष्य आज सप्त ऋषि के नाम से जाने जाते हैं।
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