मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और बांटने की परंपरा कैसे हुई शुरू?
Jan 12, 2023
By: लवीना शर्मामकर संक्रांति का पर्व साल 2023 में 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस त्योहार का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इस त्योहार को खिचड़ी क्यों कहा जाता है? साथ ही इस दिन खिचड़ी खाई क्यों जाती है?
दरअसल इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है कि खिलजी से युद्ध के दौरान सभी नाथ योगी बहुत कमजोर हो गए थे।
सभी की तबीयत बिगड़ते देख गोरखनाथ जी ने दाल, चावल और सब्जी से पकवान बनाया। जिसे खाने से योगियों को ऊर्जा मिली।
तभी से खिचड़ी बनाने की परंपरा चली आ रही है। मकर संक्रांति पर बनाई जाने वाली खिचड़ी का ग्रहों से संबंध होता है।
खिचड़ी के चावल का संबंध चंद्रमा, उड़द का शनि, हल्दी का गुरु, हरी सब्जियों का बुध तो घी का संबंध सूर्य से है।
खिचड़ी खाने से रोग तो दूर होते ही हैं साथ ही शरीर को ऊर्जा भी मिलती है।
धार्मिक मान्यताओं अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने के साथ-साथ दान भी करनी चाहिए।
इस दिन खिचड़ी दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है साथ ही ग्रह मजबूत होते हैं।
Thanks For Reading!
Next: Mahila Naga Sadhu Life: क्या महिला नागा साधु भी रहती हैं निर्वस्त्र?
Find out More