Jul 14, 2023
करीब 45 से 50 दिन की यात्रा करने के बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा। ये चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला मिशन होगा।
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भगवान शिव की किसी भी फोटो में आप देख सकते हैं कि उनके शीश पर गंगा और मस्तक पर अर्ध चंद्र विराजमान हैं।
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शिवपुराण के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था। इस विष के कारण भगवान शिव का शरीर तपने लगा था और उनका बहुत ज्यादा गर्म हो गया था।
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शिव भगवान की ऐसी स्थिति देख चंद्र देव ने महादेव से उन्हें धारण करने की विनती की। जिससे शिव जी के शरीर को कुछ ठंडक मिल सके।
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शिव जी जानते थे कि चंद्रमा श्वेत और शीतल होने के कारण उस विष की तीव्रता सहन नहीं कर पाएंगे। इसलिए उन्होंने उन्हें धारण करने से मना कर दिया।
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लेकिन अन्य देवताओं के निवेदन पर शिव जी को चंद्र देव की बात माननी पड़ी और उन्होंने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया।
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तभी से चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर विराजित होकर पूरी सृष्टि को अपनी शीतलता प्रदान कर रहे हैं।
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हालांकि इससे जुड़ी एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रमा को पुनः जीवित करने के लिए शिवजी ने उन्हें अपने मस्तक पर धारित किया था।
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