Nov 28, 2023
संतुष्ट आत्मा बनने का अर्थ है सदा सत्य और सदाचार के मार्ग पर चलना। संतोष द्वारा सर्व दिव्य गुणों का आह्वान होता है।
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जहां सद्गुणों का वास है, वहां दुर्गुणों का नाश हो ही जाता है। क्योंकि, असंतुष्टि अशांति व अवगुणों की जननी है।
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ईश्वरीय ज्ञान, गुण व शक्तियों की प्राप्ति, धारणा व उपार्जन से इंसान की सभी सदिच्छाओं व आवश्यकताओं की सहज पूर्ति हो जाती है।
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संतोष द्वारा सर्व दिव्य गुणों का आह्वान होता है, जिससे सर्व अवगुणों की आहुति स्वत: हो जाती है।
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जो प्राप्तियों से सम्पन्न होता है, उसमें हलचल नहीं होती है। जो खाली होता है, उसमें हलचल होती है।
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