लेकिन इस बार अक्षय तृतीया पर ये 100 साल पुरानी परंपरा टूटने जा रही है।
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हनुमानगढ़ी के इतिहास में पहली बार कोई गद्दीनशीन महंत 52 बीघे की परिधि से बाहर जाएंगे।
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रामलला के दर्शन की मिली अनुमति
गद्दी नशीन महंत प्रेम दास की तरफ से रामलला के दर्शन की इच्छा पर निर्वाणी अखाड़ा के पंच पसीज पये और अखाड़े की बैठक पर सर्वसम्मति से दर्शन की अनुमति दे दी गई है।
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इस दौरान मंदिर परिसर से विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी।
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यह यात्रा निर्धारित तिथि पर सुबह हनुमानगढ़ी से शुरू होकर पुण्यसलिला सरयू तट तक जाएगी।
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नदी पर स्नान के बाद यात्रा रामजन्मभूमि पहुंचेगी।
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गद्दीनशीन प्रेमदास रामलला को छप्पन भोग का प्रसाद भी अर्पित करेंगे।
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महंत प्रेमदास लगभग आठ साल बाद हनुमानगढ़ी परिसर से बाहर निकलेंगे।
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