Sep 29, 2024
रात के समय आसमान में प्रकाश की एक दूधिया पट्टी दिखाई देती है। इस वजह से हमारी आकाशगंगा का नाम मिल्की-वे पड़ा है।
Credit: iStock/Canva
मिल्की-वे एक सर्पिल आकाशगंगा है जिसके एक छोर से दूसरे छोर की दूरी लगभग एक लाख प्रकाश वर्ष है।
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आकाशगंगा की सर्पिल भुजाओं में तारे, ग्रह, एस्टेरॉयड, हाइड्रोजन के बादल मौजूद हैं। इसके अलावा सर्पिल भुजाओं में तारा निर्माण स्थल भी मौजूद है।
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खगोलविदों का मानना है कि मिल्की-वे की दो प्रमुख भुजाएं और कई अन्य छोटी भुजाएं हैं। हमारी पृथ्वी ओरियन आर्म नामक सर्पिल भुजा में मौजूद है।
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हमारी घरेलू आकाशगंगा में या कहें किसी भी आकाशगंगा में तारों की गणना करना बेहद मुश्किल काम है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि मिल्की-वे में लगभग 100 अरब से 400 अरब तक तारे हैं।
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मिल्की-वे के लगभग 400 अरब तारों में एक हमारा सूर्य भी शामिल है, जो आकाशगंगा के केंद्र से लगभग 30,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है, जिसकी परिक्रमा हमारी पृथ्वी करती है।
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हमारा सूर्य मिल्की-वे की परिक्रमा करता है और उसे एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग 230 मिलियन वर्ष का समय लगता है।
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