Sep 9, 2024
गुजरात के भुज में स्थित एक क्रेटर है, जिसे लूना क्रेटर कहा जाता है।
Credit: NASA
1.8 किमी चौड़े इस क्रेटर का नाम पास के ही एक गांव 'लूना' के नाम पर पड़ा है।
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वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी से टकराने वाले एक उल्कापिंड की वजह से 'लूना क्रेटर' बना होगा।
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वैज्ञानिकों को लगता है कि उल्कापिंड जब पृथ्वी से टकराया होगा तो उससे लगने वाले झटके और जंगलों में फैली हुई आग की वजह से लूना क्रेटर बना होगा।
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जियोकेमिकल एनालिसिस से पता चला था कि लूना क्रेटर की मिट्टी में इरिडियम की मात्रा काफी ज्यादा है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि जिस उल्कापिंड में आयरन की मात्रा ज्यादा रही होगी उसी के प्रभाव से यह बड़ा होगा।
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'लूना क्रेटर' को अभी तक गड्ढे के रूप में साबित नहीं किया गया है। इसी वजह से शोध में इसे अभी तक डिप्रेशन लिखा जाता है।
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'लूना क्रेटर' बेहद खास है, क्योंकि माना जाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग इसी के पास में रहते थे।
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नासा की थ्योरी कहती है कि 6,900 साल पहले एक उल्कापिंड के प्रभाव के बाद यह क्रेटर बना हो सकता है। दरअसल, शोधकर्ताओं ने इस जगह पर मौजूद पौधों के अवशेषों की रेडियोकार्बन डेटिंग के बात यह खुलासा किया था।
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