Aug 21, 2024
'अगर कोई कहता है कि मुझे मौत से डर नहीं लगता, तो या तो वह झूठ बोल रहा है या फिर गोरखा है।'
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ये बात इंडियन आर्मी के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ जनरल सैम मानेकशॉ ने गोरखा सैनिकों के बारे में कही थी।
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गोरखा लोगों को नेपाली आर्मी, भारतीय आर्मी यहां तक कि ब्रिटिश आर्मी तक में शामिल किया जाता है।
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ब्रिटिश शासनकाल के दौरान गोरखा लोगों को मार्शल रेस की उपाधि से नवाजा गया और ये लोग उस वक्त भी युद्ध में काफी आक्रामक, साहसी और वफादार हुआ करते थे।
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गोरखा सैनिकों के बारे में कहा जाता है कि वह शारीरिक और मानसिक तौर पर इतने मजबूत होते हैं कि कोई भी उनसे टकराने की हिमाकत नहीं करता है।
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गोरखा सैनिक खुद को फिट रखने के लिए बेहद पौष्टिक डाइट लेते हैं। मांसाहार उनके आहार का प्रमुख हिस्सा होता है।
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गोरखा ज्यादातर बकरे और जंगली सूअर का मांस खाते हैं।
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गोरखा गाय या फिर बकरी का मांस नहीं खाते।
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बात गोरखा सैनिकों के पारंपरिक भोजन की करें तो वो लोग दाल और भात खूब पसंद करते हैं। दाल चावल के साथ उनकी थाली में तीखी हरी मिर्च में अमूमन होती ही है।
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