Dec 5, 2024

दिसंबर पर 10 बेहतरीन शेर: इरादा था जी लूंगा तुझ से बिछड़ कर, गुज़रता नहीं इक दिसम्बर अकेले

Suneet Singh

मैं एक बोरी में लाया हूँ भर के मूँग-फली, किसी के साथ दिसम्बर की रात काटनी है

अजीज़ फैसल

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मुझ से पूछो कभी तकमील न होने की चुभन, मुझ पे बीते हैं कई साल दिसम्बर के बग़ैर

- मोहम्मद अली ज़ाहिर

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आप अपनी आग में हम हाथ तापेंगे 'अदीब', जब दिसम्बर साथ अपने बर्फ़-बारी लाएगा

कृष्ण अदीब

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चाँदनी-रात थी सर्द हवा से खिड़की बजती थी, उन हाथों में हाथ थे मेरे और दिसम्बर था

फ़रह शाहिद

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गले मिला था कभी दुख भरे दिसम्बर से, मिरे वजूद के अंदर भी धुँद छाई थी

तहज़ीब हाफ़ी

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रोते हैं जब भी हम दिसम्बर में, जम से जाते हैं ग़म दिसम्बर में

इंद्र सराज़ी

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जो हमें भूल ही गया था उसे, याद आए हैं हम दिसम्बर में

- इंज्र सराजी

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बारिश की बूंदों से दिल पे दस्तक होती थी, सब मौसम बरसात थे मेरे और दिसम्बर था

फ़रह शाहिद

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सिसकने सुलगने तड़पने का मौसम, दिसम्बर दिसम्बर दिसम्बर दिसम्बर

नदीम गुल्लानी

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