Feb 01, 2025

बसंत पर 10 मशहूर शेर: रश्क-ए-जिनां चमन को बनाना बसंत का, हर कली में रंग दिखाना बसंत का

Suneet Singh

​ मुंह पर नक़ाब-ए-ज़र्द हर इक ज़ुल्फ़ पर गुलाल, होली की शाम ही तो सहर है बसंत की..​​

- ​लाला माधव राम जौहर

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​पत्ते नहीं चमन में खड़कते तिरे बग़ैर, करती है इस लिबास में हर-दम फ़ुग़ां बसंत​​

- ​इंशा अल्लाह ख़ान इंशा


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​हम-रंग की है दून निकल अशरफ़ी के साथ, पाता है आ के रंग-ए-तलाई यहां बसंत​​

- ​मुनीर शिकोहाबादी

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​दिल को बहुत अज़ीज़ है आना बसंत का, 'रहबर' की ज़िंदगी में समाना बसंत का ​​

- जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर

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​साक़ी कुछ आज तुझ को ख़बर है बसंत की, हर सू बहार पेश-ए-नज़र है बसंत की​​

- ​उफ़ुक़ लखनवी

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​अब के बसंत आई तो आंखें उजड़ गईं, सरसों के खेत में कोई पत्ता हरा न था​​

- ​बिमल कृष्ण अश्क


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​आया बसंत फूल भी शोलों में ढल गए, मैं चूमने लगा तो मिरे होंट जल गए ​​

- कुमार पाशी


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​क़ुदरत की बरकतें हैं ख़ज़ाना बसंत का, क्या ख़ूब क्या अजीब ज़माना बसंत का ​​

- जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर


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​तू ने लगाई अब की ये क्या आग ऐ बसंत, जिस से कि दिल की आग उठे जाग ऐ बसंत​​

- ​इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

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