May 3, 2024

'सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते..', दिन बना देंगे मुनीर नियाज़ी के ये चुनिंदा शेर

Suneet Singh

ग़म की बारिश ने भी तेरे नक़्श को धोया नहीं, तू ने मुझ को खो दिया मैं ने तुझे खोया नहीं।

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रहना था उस के साथ बहुत देर तक मगर, इन रोज़ ओ शब में मुझ को ये फ़ुर्सत नहीं मिली।

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वो जिस को मैं समझता रहा कामयाब दिन, वो दिन था मेरी उम्र का सब से ख़राब दिन।

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किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते, सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते।

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घटा देख कर ख़ुश हुईं लड़कियां, छतों पर खिले फूल बरसात के।

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मैं बहुत कमज़ोर था इस मुल्क में हिजरत के बाद, पर मुझे इस मुल्क में कमज़ोर-तर उस ने किया।

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देखे हुए से लगते हैं रस्ते मकाँ मकीं, जिस शहर में भटक के जिधर जाए आदमी।

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तेज़ थी इतनी कि सारा शहर सूना कर गई, देर तक बैठा रहा मैं उस हवा के सामने।

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जिन के होने से हम भी हैं ऐ दिल। शहर में हैं वो सूरतें बाक़ी।

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