Mar 22, 2025

मिर्जा गालिब के 10 मशहूर शेर: हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

Suneet Singh

​रंज से ख़ूगर हुआ इंसां तो मिट जाता है रंज, मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसां हो गईं​

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​​हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे, कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और​​



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​वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है, कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं​

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​तिरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना, कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए'तिबार होता​

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​ये कहां की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह, कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता​

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​रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब', कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था​

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​'ग़ालिब' हमें न छेड़ कि फिर जोश-ए-अश्क से, बैठे हैं हम तहय्या-ए-तूफ़ां किए हुए​

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​क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं, मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूं​

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​ये मसाईल-ए-तसव्वुफ़ ये तिरा बयान 'ग़ालिब', तुझे हम वली समझते जो न बादा-ख़्वार होता​

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