Apr 11, 2024
यूं तो बच्चों की परवरिश जीवन भर का टास्क होता है, लेकिन 3 से 5 साल तक के बच्चों की परवरिश काफी अहम है।
Credit: Pexels
यही वह उम्र है जब बच्चे पहली बार अपने माता-पिता से कुछ घंटों के लिए दूर होकर LKG या UKG में पढ़ने स्कूल जाते हैं।
Credit: Pexels
LKG-UKG में पढ़ने वाले 3 से 5 साल के बच्चे अपने आसपास से ज्यादा सीखते हैं। ऐसे में पेरेंट्स अगर चाहते हैं कि बच्चा गाली न दे, चीखे-चिल्लाए नहीं, सबका सम्मान करे, तो उन्हें खुद इसका उदाहरण बनना होगा।
Credit: Pexels
इस उम्र के बच्चों से सोच-समझ कर कोई वादा कीजिए। अगर प्रॉमिस कर दिया हो, तो उसे पूरा जरूर करें। भले ही वह टॉफी देने जैसा छोटा वादा ही क्यों न हो।
Credit: Pexels
यही वो उम्र होती है जब पेरेंट्स को बच्चों की सीमाएं तय करनी होती हैं। सीमाएं तय करना मतलब ये कतई नहीं होता कि हर बात में टोकना, लेकिन कितनी छूट मिले ये तय करना होगा।
Credit: Pexels
बच्चे की अच्छी बातों पर क्लैपिंग करके या तारीफ करके उसका मन रखें। बच्चे को ये फील ना होने दें कि वह हमेशा गलत ही करता है।
Credit: Pexels
कई बार पेरेंट्स छोटे बच्चों की हर बात पर हामी भर देते हैं। इससे बच्चा जिद्दी बन सकता है, ऐसा मत कीजिए। उनकी हर जिद पूरी मत कीजिए।
Credit: Pexels
3 से 5 साल की उम्र ऐसी होती है जब बच्चे अपनी तोतली जुबान में बहुत कुछ कहना चाहते हैं। यह बेहद जरूरी है कि भले आप कितने भी व्यस्त हों, अगर बच्चा कुछ कहना चाह रहा है तो समय निकालकर उसे सुनिए जरूर। इससे बच्चों में कॉन्फिडेंस आता है।
Credit: Pexels
इस उम्र के बच्चों को मोबाइल वगैराह से जितना दूर रख सकें उतना रखें। यही वह उम्र है जह बच्चों पर मोबाइल का सबसे बुरा असर पड़ता है।
Credit: Pexels
Thanks For Reading!