May 27, 2024
जौन एलिया की शायरी: बहुत नज़दीक आती जा रही हो, बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
Suneet Singhहमला है चार सू दर-ओ-दीवार-ए-शहर का, सब जंगलों को शहर के अंदर समेट लो।
ये वार कर गया है पहलू से कौन मुझ पर, था मैं ही दाएँ बाएँ और मैं ही दरमियाँ था।
अब तो उस के बारे में तुम जो चाहो वो कह डालो, वो अंगड़ाई मेरे कमरे तक तो बड़ी रूहानी थी।
हर शख़्स से बे-नियाज़ हो जा, फिर सब से ये कह कि मैं ख़ुदा हूं।
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस, ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं।
ज़िंदगी किस तरह बसर होगी, दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में।
सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं, और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं।
बहुत नज़दीक आती जा रही हो, बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या।
कौन इस घर की देख-भाल करे, रोज़ इक चीज़ टूट जाती है।
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