Apr 12, 2024
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम ,कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी।
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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें,जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।
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किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम,तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ।
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तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़',दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।
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दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है,और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता।
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आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा,वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा।
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इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ ,क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ ।
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हम को अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तिरा,कोई तुझ सा हो तो फिर नाम भी तुझ सा रक्खे।
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दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है,जो किसी और का होने दे न अपना रक्खे।
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