May 3, 2024
हाल ही में संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज हीरामंडी रिलीज हुई है। नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई हीरामंडी में भंसाली ने तवायफों की जिंदगी को बड़ी खूबसूरती और भव्यता से पेश किया है।
Credit: Social-Media
सैकड़ों साल से तवायफ हमारे समाज का हिस्सा रही हैं। तवायफ बनने से पहले लड़की को कई रस्मों को पूरा करना पड़ता था। इनमें से तीन प्रमुख रस्में थीं- अंगिया, मिस्सी और नथ उतराई।
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सबसे पहली रस्म होती थी अंगिया की। पुराने जमाने में ब्रा को अंगिया कहा जाता था। जब लड़की जवान होती थी, तब कोठे की तवायफें उसे अंगिया पहनाती थीं। ये रस्म बड़े धूमधाम से मनाई जाती थी।
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अंगिया के बाद दूसरी रस्म होती थी मिस्सी की। मिस्सी की रस्म थोड़ी अजीब थी। दरअसल तवायफों के होठों पर कत्थे की सुर्खी और काले पड़ चुके दांत नवाबों को खूब भाते थे। मिस्सी की रस्म में दांतों और मसूड़ों को काला किया जाता था।
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मिस्सी की रस्म के बाम लड़की को रोजाना कई पान खाने पड़ते थे। दांतों को काला करने के लिए आयरन और सल्फेट का पाउडर रगड़ा जाता था। कोठे की सबसे बड़ी और प्रमुख तवायफ, जिसे आपा कहा जाता था, मिस्सी की रस्म निभाती थी। मिस्सी के बाद जमकर खाना-पीना और नाच गाना होता था।
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मिस्सी होने का मतलब ये भी होता था अब लड़की अपना कौमार्य बेचने के लिए तैयार है। मिस्सी के बाद नथ उतराई की रस्म होती थी।
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नथ उतराई में बड़े-बड़े नवाब और रईसजादे हिस्सा लेते। उन्हें खास तौर पर इस रस्म के लिए आमंत्रित किया जाता था। नथ उतराई की रस्म में लड़की को दुल्हन की तरह सजाकर महफिल में पेश किया जाता था। लड़की नाक में नथ पहने होती थी।
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नथ उतराई का मतलब होता था लड़की का कौमार्य भंग होना। वर्जिन लड़की के लिए नवाब और रईसजादे ऊंची बोली लगाते। जो सबसे ऊंची बोली लगाता, लड़की की नथ उतराई वही करता था।
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नथ उतराई के बाद आधिकारिक रूप से तवायफ बन चुकी लड़की फिर दोबारा नथ नहीं पहनती थी। इस रस्म को सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता था।
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