May 19, 2024
'एक पुराना ख़त खोला अनजाने में..', तपती गर्मी में ठंडी छांव की तरह हैं गुलज़ार के ये शेर
Suneet Singh
आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई।
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Parenting Tips Summer Vacation
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
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शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है।
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वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है।
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जब भी ये दिल उदास होता है, जाने कौन आस-पास होता है।
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ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में, एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।
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हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते, वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते।
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कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है, ज़िंदगी एक नज़्म लगती है।
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जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ, उस ने सदियों की जुदाई दी है।
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