Jun 13, 2024
Gulzar Poetry: तुम्हारे ख्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं, सजाएं भेज दो हम ने खताएं भेजी हैं
Suneet Singh
आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई।
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क्या है 'ललना हिंद के सितारा'
ज़िंदगी यूं हुई बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
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शाम से आंख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है।
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कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़, किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे।
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कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूं, उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की।
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जिस की आंखों में कटी थीं सदियां, उस ने सदियों की जुदाई दी है।
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हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते, वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते।
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हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में, रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।
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कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था, आज की दास्तां हमारी है।
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