Apr 17, 2024

'मौत का भी इलाज हो शायद..', सीधे रूह को छूते हैं फिराक़ के ये शेर

Suneet Singh

याद

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें,और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं।

Credit: Social-Media

आहट

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं, तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं।

Credit: Social-Media

इश्क़

कोई समझे तो एक बात कहूँ, इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं।

Credit: Social-Media

तुम को देखें कि..

तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो,तुम को देखें कि तुम से बात करें।

Credit: Social-Media

इलाज

मौत का भी इलाज हो शायद,ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं।

Credit: Social-Media

बेवफाई

हम से क्या हो सका मोहब्बत में,ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की।

Credit: Social-Media

दोस्त

ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त,वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में।

Credit: Social-Media

कहानियां

शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास,दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं।

Credit: Social-Media

इंतजार

न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद,मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था।

Credit: Social-Media

Thanks For Reading!

Next: भगवान राम के नामों पर रखें अपने क्यूट बेटे का यूनिक नाम, हमेशा रहेगा आगे

Find out More