फ़राज के बेहतरीन शेर: इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएं, क्यूं न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएं
Suneet Singh
Jul 10, 2024
रंजिश ही सही दिल दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ।
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कुमार विश्वास की कविता
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें, जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।
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हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम, कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी।
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किस किस को बताएंगे जुदाई का सबब हम, तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ।
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तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़', दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला ।
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दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है, और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता।
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आंख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा, वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा।
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ज़िंदगी से यही गिला है मुझे, तू बहुत देर से मिला है मुझे।
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इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएं, क्यूं न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएं।
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