May 30, 2024
कई सारे ऐसे पेरेंट्स हैं जो अपनी चीजों में इतने व्यस्त हैं कि बच्चे की बात सुनने समझने की उन्हें फुर्सत नहीं है। वो बच्चों के इमोशन तक अनदेखा कर देते हैं। इससे बच्चे का मासूम दिल टूट जाता है।
Credit: canva
दूसरे बच्चों से अपने बच्चे की तुलना करना तो माता-पिता की सबसे बड़ी गलती है। ऐसा करके आप न सिर्फ बच्चे का आत्मविश्वास तोड़ते हैं बल्कि उनका आपके प्रति विश्वास भी खो देते हैं।
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बच्चों के ऊपर एहसान जताना सबसे बुरी बात है। आप उनके लिए क्या कर रहे हैं इसका एहसास जब वो काबिल हो जाएंगे तब उन्हें खुद हो लेकिन आपको बचपन से ही बच्चे पर एहसान का टोकरा नहीं डालना चाहिए।
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कभी भी अपने बच्चे को किसी और के भरोसे न छोड़ें। हमेशा अपने बच्चे की देखभाल खुद करें। उनकी जरूरतों और खान-पान का भी खुद ध्यान रखें।
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बच्चों को चीजें समझने में वक्त लगता है। इतनी कम उम्र में उनसे परफेक्शन की उम्मीद करना गलत है। वक्त के साथ वो हर वो चीज सीख जाएंगे जो आप उन्हें सीखाना चाहते हैं।
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माता-पिता को कभी भी बच्चे की आजादी नहीं छिननी चाहिए। हद से ज्यादा रोक-टोक हो तो बच्चा दब्बू बन जाता है।
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बच्चा कहीं हार न जाए इस डर से आप बच्चे को घर में नहीं बांधकर रख सकते हैं। हार के डर से बच्चे को किसी भी काम को करने से रोकना सही नहीं है। उन्हें कोशिश करने दें।
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बच्चों के सामने अगर माता-पिता लड़ाई करें तो उनके मानसिक तौर पर बहुत चोट पहुंचती है। अगर आपकी अनबन हुई भी हो तो उसे अकेले में शांति से सुलझाएं।
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बच्चे को छूट देने का मतलब ये नहीं है कि आप उनके लिए कोई सीमा या दायरा न तय करें। जरूरी है कि आप ये लिमिट लगा कर रखें कि वो कब क्या और कितना कर सकता है, जैसै कि फोन चलाना।
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