Nov 25, 2022
By: ललित रायभारतीय और अमेरिकी फौज के बीच युद्धाभ्यास कई मायनों में खास है। इसके जरिए दोनों सेनाओं को ऑपरेशल स्तर पर एक दूसरे की कठिनाइयों को समझने में मदद मिलेगी।
Credit: Indian-Army
इस अभ्यास में मानव रहित हवाई प्रणाली और उनका मुकाबला करने की तकनीक के साथ-साथ सूचना संचालन भी है। युद्ध अभ्यास 2022 का उद्देश्यदोनों देशों की सेनाओं के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं, रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं का आदान-प्रदान करना है।
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हवाई हमलों को पूर्ण दक्षता के साथ अंजाम दिया जा सके इसके लिए एयर सिस्टम की बेहतरी को भी जांचा-परखा गया। युद्धाभ्यास में खासतौर से चिनूक का भी इस्तेमाल किया गया।
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वार्षिक द्विपक्षीय अभ्यास 2 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा।अभ्यास में असम रेजिमेंट के जवान जबकि अमेरिकी सेना का प्रतिनिधित्व 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की दूसरी ब्रिगेड के सैनिक शामिल हैं।
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इस अभ्यास में इसके साथ साथ इस लड़ाई के दौरान हताहत सैनिकों को किस तरह से बचाया जा सके इस पर भी बल दिया गय़ा।
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युद्ध अभ्यास का पिछला संस्करण अक्टूबर 2021 में अलास्का में ज्वाइंट बेस एलेमडॉर्फ रिचर्डसन में हुआ था। भारत में मद्रास रेजीमेंट की एक इन्फैंट्री बटालियन समूह के 350 सैनिक अलास्का में भाग ले रहे थे।
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जानकारों का कहना है कि इस तरह के युद्धाभ्यास से सेनाएं नई नई जानकारियों को वास्तविक लड़ाई में तब्दील कर सकती हैं। इसके जरिए सेना अपनी तैयारियों को भी परख लेती है।
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फील्ड अभ्यास में एकीकृत युद्ध समूह, बल गुणक, परिचालन रसद, पर्वतीय युद्ध कौशल, और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में चिकित्सा सहायता का मुकाबला करना और इंजीनियरिंग का मुकाबला करना शामिल है।
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लद्दाख के इलाके में इस तरह के युद्धाभ्यास से चीन और पाकिस्तान का सहमना लाजिमी है। लेकिन हमें इसे अपने संदर्भ में देखने की जरूरत है। भारतीय फौज दुनिया की पेशेवर सेना में से एक है और किसी भी हालात का मुकाबला कर सकती है।
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