Oct 22, 2023
पृथ्वी की बहन के नाम से फेमस शुक्र ग्रह अपने अनूठे वातावरण और खास स्थितियों के कारण वैज्ञानिकों के लिए आकर्षण केंद्र रहा है।
Credit: commons-wikimedia/isro
इसरो ने कुछ उद्देश्यों के साथ शुक्रयान-1 मिशन लॉन्च की तारीख दिसंबर 2024 निर्धारित की है। जिसमें शुक्र की सतह और वायुमंडल का अध्ययन भी शामिल है।
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अपने महत्वाकांक्षी उद्देश्यों और नई टैक्नोलॉजी के लिए मशहूर इसरो के लिए शुक्रयान-1 मिशन एक मील का पत्थर है। यह चार साल तक चलेगा और लॉन्च के समय इसका वजन 2500 किलोग्राम होगा।
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इस मिशन के लिए इसरो फ्रांस, रूस, स्वीडन और जर्मनी जैसे देशों का सहयोग ले रहा है।
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शुक्रयान-1 मिशन शुक्र के आयनमंडल की सतह स्ट्रैटिग्राफी, वायुमंडल रसायन विज्ञान और सौर विकिरण के बारे में जानकारी हासिल करेगा।
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शुक्र एक ग्रीनहाउस प्रभाव वाला सबसे गर्म और ज्वालामुखी रूप से एक्टिव ग्रह है। इसका आकार करीब पृथ्वी के समान है।
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शुक्र की सतह का तापमान 460°C है और इसका वातावरण पृथ्वी से 90 गुना अधिक सघन है, जो एक दुर्गम वातावरण बनाता है।
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शुक्र अधिकांश ग्रहों की विपरीत दिशा में धीरे-धीरे घूमता है, जिससे इसका दिन-रात का चक्र 117 पृथ्वी दिनों तक चलता है।
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शुक्रयान-1 मिशन के साइंस पेलोड में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय उपकरण शामिल हैं जिनका उद्देश्य शुक्र का व्यापक रूप से पता लगाना है।
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शुक्र ग्रह साइंस और खगोल विज्ञान की हमारी समझ को चुनौती देता है। वैज्ञानिक इसके ऊपरी वायुमंडल में जीवन की संभावना पर अनुमान लगाते हैं, लेकिन रहस्य बरकरार है।
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