Oct 29, 2023
भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट को दुश्मनों से बहादुरी से लड़ने के लिए जाना जाता है। दुनिया के सिर्फ तीन देशों- नेपाल, ब्रिटेन और भारत के पास ही गोरखा रेजिमेंट है।
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कभी इनके लिए भारत के फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने कहा था- अगर कोई शख्स कहता है कि उसे मरने से डर नहीं लगता, वह या तो झूठा है या गोरखा है।
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गोरखा रेजीमेंट भारतीय सेना से अप्रैल 1815 में जुड़ी थी और तब से आज तक कई लड़ाइयों में सेना का मजबूती से साथ निभाती आ रही है।
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नेपाल में गोरखा नाम का एक जिला है, जो हिमालय की तराई में बसा हुआ एक छोटा-सा गांव है। गोरखा पहाड़ों में रहने वाली सुनवार, गुरुंग, राय, मागर और लिंबु जातियों में से ही हैं।
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जब इनके घर में कोई बच्चा पैदा होता है तो गांव में 'आयो गोरखाली' बोलकर शोर मचाते हैं। जन्म के साथ ही यहां के बच्चों को सिखाया जाता है - डर कर जीने से बेहतर है मर जाना।
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गोरखा सैनिकों की 42 हफ्ते की कठिन ट्रेनिंग होती है। इसमें ये सैनिक शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी मजबूत हो जाते हैं और दुश्मन के लिए घातक साबित होते हैं।
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खुखरी एक तेजधार वाला नेपाली कटार है, जो सेना में गोरखा रेजीमेंट के सैनिकों को दिया जाता है। खुखरी 12 इंच लंबा चाकू होता है जो कि हर गोरखा सैनिक के पास होता है।
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खुखरी दुश्मनों से लड़ाई में काफी मददगार होता है। गोरखा सैनिक इससे ही दुश्मनों का काम तमाम कर देते हैं। इसीलिए दुश्मन इनसे खौफ खाते हैं।
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सबसे अहम आमने-सामने की लड़ाई की ट्रेनिंग होती है, जिसमें उन्हें सामने से दुश्मन को मात देने के बारे में सिखाया जाता है और गोरखा सैनिक इसे बखूबी अंजाम भी देते हैं।
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