क्यों खराब नहीं होता गंगा का पानी, जानिए इस पवित्र नदी का इतिहास
Amit Mandal
हिमालय से गंगा का उद्गम
गंगा नदी का उद्गम हिमालय पर्वत गोमुख से होता है, जो गंगोत्री ग्लेशियर का अंतिम छोर है। जब इस ग्लेशियर की बर्फ पिघलती है, तो इससे भागीरथी नदी का साफ पानी बनता है।
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अलकनंदा नदी में मिल जाती है गंगा
जैसे ही भागीरथी नदी हिमालय से नीचे बहती है, यह अलकनंदा नदी में मिल जाती है, जिससे आधिकारिक तौर पर गंगा नदी बनती है।
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आखिर क्यों खराब नहीं होता गंगा का पानी
वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफाज वायरस होते हैं।
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बैक्टीरिया को मारते हैं वायरस
ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं। इसीलिए इस नदी का जल कभी सड़ता नहीं है।
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गंगा सबसे पवित्र
गंगा नदी भारत की प्रमुख सांस्कृतिक विरासतों में से एक है। गंगा को न सिर्फ पवित्र नदी माना जाता है, बल्कि यह भारत को एक सूत्र में भी बांधती है।
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वेद-पुराणों में भी जिक्र
वेद-पुराणों में तो गंगा को बार-बार तीर्थमयी कहा गया है। प्रथम वेद ऋगवेद में गंगा का जिक्र किया गया है। यजुर्वेद, सामवेद और अर्थवेद में भी गंगा का जिक्र पवित्र नदी के रूप में किया गया है।
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पूरे विश्व में किसी नदी को ऐसा सम्मान नहीं मिला
पूरे विश्वभर में ऐसी कोई भी नदी नहीं होगी, जिसे पवित्र मानते हुए इतना महत्व मिला। भारत में देवी के समान इसकी पूजा की जाती है।
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बिना गंगाजल धार्मिक अनुष्ठान अधूरे
हिंदू धर्म में धार्मिक अनुष्ठान जैसे कई कार्य बिना गंगाजल के पूर्ण व शुद्ध नहीं माने जाते हैं। हिंदू मरने के बाद गंगा में राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक समझते हैं।
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‘स्रोतसामस्मि जाह्नवी’
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है- ‘स्रोतसामस्मि जाह्नवी’ यानि नदियों में मैं जाह्नवी (गंगा) हूं।
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महाभारत में भी उल्लेख
महाभारत में कहा गया है- ‘पुनाति कीर्तिता पापं द्रष्टा भद्र प्रयच्छति। अवगाढ़ा च पीता च पुनात्या सप्तम कुलम।।’ यानि गंगा का उच्चारण करने से पापों का नाश होता है। दर्शन करने वालों लोगों का गंगा कल्याण करती है और स्नान करने वालों की सात पीढ़ियों को गंगा पवित्र करती है।
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