Oct 26, 2023

​जिस खीर का नाम सुनकर मुंह में आ जाता है पानी, सबसे पहले कब बनी थी?

Amit Mandal

क्षीरिका से बना खीर शब्द

इतिहासकारों का कहना है कि खीर संस्कृत शब्द क्षीरिका से लिया गया हैजिसका अर्थ है दूध से तैयार पकवान।

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दक्षिण और उत्तर भारत की खीर अलग

दक्षिणी, पूर्वी और उत्तरी भारत की खीर में काफी अंतर है। दक्षिणी भारत में इस चावल के इस पकवान को इसके हिंदी नाम पायसम से जाना जाता है।

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धार्मिक किंवदंतियों से जुड़ी कहानी

इसकी उत्पत्ति मंदिरों और धार्मिक किंवदंतियों से जुड़ी हुई है। कहानी केरल के अम्बलप्पुझा मंदिर से शुरू होती है कि कैसे भगवान कृष्ण ने एक स्थानीय राजा का घमंड तोड़ा था।

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कृष्ण ने तोड़ा था राजा का घमंड

राजा ने चुनौती दी थी कि उसे शतरंज मैच में जो भी हराएगा उसे मुंहमांगा ईनाम देगा। तब ऋषि के वेश में आए कृष्ण ने खास शर्त रखकर ।

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रखी अनोखी शर्त

कृष्ण ने कहा कि उन्हें चेस बोर्ड के 64 वर्ग में रखे चावल के दानों के बराबर चावल चाहिए। शर्त यह थी कि हर वर्ग में रखे चावल के दाने अगले वर्ग में दोगुने हो जाएंगे।

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हर वर्ग में दाने की शर्त

पहले वर्ग में एक दाना तो दूसरे वर्ग में दो दाने, तीसरे वर्ग में चार दाने, चौथे वर्ग में 8 दाने, पांचवें वर्ग में 16 दाने। ऐसे ही यह क्रम चलता रहेगा।

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हर बार हारा राजा

राजा ने कृष्ण की यह मांग मान ली, राजा हर बार हारता चला गया। फिर यह चावल इतना हो गया कि राजा का पूरा भंडार खाली हो गया।

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कृष्ण स्वयं प्रकट हुए

फिर कृष्ण स्वयं प्रकट होते हैं और राजा को भुगतान के लिए बाध्य करने के बजाय मंदिर आने वाले किसी भी व्यक्ति को खीर मुफ्त में परोसने का निर्देश देते हैं।

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पद्मावत-पुरी मंदिर का भी जिक्र

खीर का जिक्र चौदहवीं शताब्दी में गुगरात के पद्मावत में भी मिलता है। साथ ही कहते हैं कि करीब दो हजार साल पहले ओडिशा के पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ को खुश करने के लिए खीर बनाई गई थी।

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