क्या था मुंशी प्रेमचंद का असली नाम, अधिकतर लोग जानते ही नहीं होंगे
Amit Mandal
क्या था असली नाम
मुंशी प्रेमचंद एक जाने माने उपन्यासकार और कहानीकार थे। उनकी रचनाओं में आम आदमी और समाज की समस्याओं की झलक मिलती थी।
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अधिकतर लोग नही जानते
लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका असली नाम क्या था। अधिकतर लोग शायद ये जानते ही नहीं होंगे। हम आपको यही बता रहे हैं।
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असली नाम था धनपत राय श्रीवास्तव
मुंशी प्रेमचंद का मूल नाम असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उर्दू में वह नवाब राय के नाम से रचनाएं लिखते थे।
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अंग्रेजी सरकार ने लिखने पर लगाया प्रतिबंध
उर्दू में लिखे उपन्यास 'सोजे वतन' (1909) के प्रकाशन के बाद जब अंग्रेजी सरकार ने उनके लिखने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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तब प्रेमचंद के नाम से लिखने की मिली सलाह
तब मुंशी दया नारायण निगम ने उन्हें धनपत राय के बदले प्रेमचंद के नाम से लिखने की सलाह दी थी। उनकी यह सलाह धनपत राय को पसंद आई और उन्होंने प्रेमचंद के नाम से साहित्य लिखना शुरू कर दिया।
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गोदान-गबन-नमक का दरोगा
उन्होंने प्रेमाश्रम, रंगभूमि, सेवासदन, निर्मला, कर्मभूमि, गोदान, गबन जैसी लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास और नमक का दरोगा, पूस की रात जैसी कहानियां लिखी जो बेहद लोकप्रिय हुईं।
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लमही गांव में हुआ जन्म
प्रेमचंद जी का जन्म वाराणसी जिले के लमही गांव के कायस्थ परिवार में 31 जुलाई 1880 को हुआ था, उनके पिता का नाम मुंशी अजायब राय था जो की लमही गांव में डाक मुंशी थे।
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बचपन संघर्षों में बीता
जब प्रेमचंद जी की उम्र 7 साल थी तभी उनकी माता का देहांत हो गया था और 16 वर्ष की उम्र में पिता की भी मृत्यु हो गई जिससे उनका जीवन काफी संघर्षों से गुजरा।
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शरतचंद्र ने कहा उपन्यास सम्राट
उपन्यास के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान को देखकर बंगाल के प्रसिद्ध उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय जी ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर सम्बोधित किया था।
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