By: ललित राय

जानें- नेजल और इंजेक्टेड वैक्सीनेशन में क्या है फर्क

Dec 23, 2022

इंजेक्टेड के साथ नेजल वैक्सीनेशन

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में नेजल वैक्सीन को भी मंजूरी मिल गई है। इसे नाक के जरिए दिया जाएगा। इससे पहले इंजेक्टेड वैक्सीनेशन प्रयोग में था।

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इंजेक्टेड वैक्सीन कोवैक्सीन

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारतीय वैक्सीन कोवैक्सीन, कोवोवैक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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कोविशील्ड

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड को इस्तेमाल में लाया जा रहा है।

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स्पूतनिक का इस्तेमाल

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कोवैक्सीन और कोविशील्ड के साथ साथ स्पूतनिक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे रूस ने बनाया है।

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बूस्टर डोज का भी इस्तेमाल

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में तीसरे डोज का इस्तेमाल भी किया जा रहा है, जिसे बूस्टर डोज कहा जाता है। बताया जा रहा है कि भारत में करीब 28 फीसद लोगों ने ही बूस्टर डोज का इस्तेमाल किया है।

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कोरोना के अलग अलग रूप

कोरोना वायरस के बारे में कहा जाता है कि यह तेजी से म्यूटेट करता है। भारत में डेल्टा वैरिएंट ने कहर मचाया था उसके बाद ओमीक्रान का भी देश ने सामना किया।

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आरटी पीसीआर के जरिए टेस्ट

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और आरटीपीसीआर बड़ा हथियार है, बीएफ.7 के मद्देनजर टेस्ट की संख्या बढ़ाने पर बल दिया गया है।

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अब बीएफ.7 का खतरा

भारत में कोरोना के नए वैरिएंट बीएफ.7 दस्तक दे चुका है। किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने गाइडलाइंस जारी की है।

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