अब नई क्रांति लाएगी इलेक्ट्रिक सड़कें, इन देशों में हुआ ट्रायल, भारत में भी चर्चा
Amit Mandal
कैसे करता है काम?
इलेक्ट्रिक हाईवे/सड़कें तेजी से चर्चा का विषय बनती जा रही हैं, लेकिन ये क्या हैं और कैसे काम करती हैं, इसके बारे में कम ही लोगों को पता है।
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केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी नए-नए प्रयोग लागू करने के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने भारत में इलेक्ट्रिक सड़कों की चर्चा को आगे बढ़ाया है।
इलेक्ट्रिक वाहनों के दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल करने का मुख्य कारण इनका पर्यावरण-अनुकूल होना है। यहां बिल्कुल प्रदूषण नहीं होता है।
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लागत भी एक प्रमुख फैक्टर
इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने की लागत पेट्रोल या डीजल वाहनों को चलाने की तुलना में काफी कम है, क्योंकि बैटरी को चार्ज करने की लागत पेट्रोल या डीजल भरवाने की लागत की तुलना में मामूली है।
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इलेक्ट्रिक वाहनों की अपनी सीमाएं
हालांकि, तकनीक में प्रगति के बावजूद इलेक्ट्रिक वाहनों की अपनी सीमाएं हैं। सबसे बड़ी खामी बैटरी की सीमित रेंज और चार्ज होने में लगने वाला समय है।
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करनी होगी बैटरी चार्ज
अच्छे इलेक्ट्रिक वाहन फिलहाल 500-700 किमी की रेंज दे रहे हैं, यानी अगर आपको लंबी दूरी तय करनी है तो आपको कई बार रुकना होगा और बैटरी चार्ज करनी होगी।
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कई कंपनियां इलेक्ट्रिक सड़कों पर काम कर रही
दुनिया भर में कई कंपनियां इलेक्ट्रिक सड़कों पर काम कर रही हैं, जिनमें वोक्सवैगन और वोल्वो भी शामिल हैं।
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इन देशों में हो रहा काम
स्टॉकहोम, स्वीडन और डेट्रॉइट, अमेरिका में प्रयोग के तौर पर इलेक्ट्रिक सड़कें बनाई गई हैं। स्वीडिश सरकार 3000 किमी लंबा इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की तैयारी कर रही है।
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ओवरहेड इलेक्ट्रिक तार
इलेक्ट्रिक सड़कों के लिए दो अवधारणाएं हैं। पहली अवधारणा एक ओवरहेड इलेक्ट्रिक तार पर आधारित है, जिसका इस्तेमाल ट्रेनों या महानगरों में किया जाता है।
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टायरों से बिजली पहुंचाना
दूसरी योजना में टायरों के जरिए वाहनों के इंजन तक बिजली पहुंचाना शामिल है।
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