ASI की टीम जिन विधियों से ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कर रही है, उसमें सबसे ज्यादा चर्चा GPR सिस्टम की हो रही है।
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ASI की टीम GPR सिस्टम के जरिए ज्ञानवापी के निचले हिस्से का सर्वे कर रही है। आखिर GPR सिस्टम के जरिए कैसे सर्वे होता है।
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जीपीआर सिस्टम क्या है, इसके जरिए कैसे सर्वे होता है और इससे क्या-क्या जानकारियां सामने आ सकती है?
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Times Now नवभारत की टीम ने BHU के पुरातात्विक विभाग में जियो फिजिक्स के वैज्ञानिकों से बात की।
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GPR एक बेहद अत्याधुनिक सिस्टम है। इसके द्वारा जमीन के अंदर के अवशेष की सटीक जानकारी हासिल की जाती है।
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इससे जमीन से बीस मीटर के अंदर के अवशेष का सही सही पता लगाया जा सकता है। GPR मशीन से रेज निकलती हैं और अवशेष से टकराकर वापस आती हैं।
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ASI सर्वे की टीम में कई विभागों के सदस्य मौजूद हैं। सर्वे के दौरान पुरातात्विक विभाग के वैज्ञानिकों का भी अहम रोल हुई।
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ज्ञानवापी के खंभों, दीवारों और गुम्बद पर उकेरी गई कलाकृतियों के नाप जोख का काम पुरातात्विक विभाग के वैज्ञानिक कर रहे हैं।
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BHU के पुरातत्विकविद डॉक्टर अशोक सिंह ने बताया है कि ज्ञानवापी में मिली आकृतियों का अवलोकन किया जा रहा है।
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अशोक सिंह ने कहा कि इस दौरान ये देखा जा रहा आज की बरामद आकृतियां किस काल खंड की है, उसकी शैली क्या है। इसका पता लगाया जा रहा है।
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विशेषज्ञों ने दावा किया है कि अयोध्या के राम मंदिर में हुए सर्वे की तुलना में ज्ञानवापी परिसर के सर्वे में कम समय लगेगा।
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