Jan 15, 2023
यूपी में कानपुर के गंगा बैराज पर शैलेंद्र कुमार स्टैच्यू बनते हैं। यह काम वह गोल्ड ब्वॉय नाम के साथ करते हैं। वह बिल्कुल बुत की तरह खड़े होते हैं।
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यही वजह है कि लोग उन्हें देखकर एक पल को कंफ्यूज हो जाते हैं कि वह असली के स्टैच्यू हैं या नहीं। यह देखने को लोग पास आ उन्हें छूकर देखते हैं।
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शैलेंद्र की स्टैच्यू आर्ट, कॉन्फिडेंस और वेष-भूषा देख आसपास से गुजरने वाले एक पल को ठहर कर उन्हें देखते हैं और फिर उनके साथ फोटो खिंचाते हैं।
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गोल्ड ब्वॉय कानपुर के लोगों के बीच मौजूदा समय में किसी सिटी स्टार से कम नहीं हैं। हालांकि, इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत संर्घष किया।
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रोचक बात है कि कभी शैलेंद्र के पास इस काम के लिए कॉस्ट्यूम तक के पैसे नहीं थे। उन्होंने तब पल्लेदारी (माल ढोने का काम) कर के रुपए जुटाए थे।
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वह सुनहरे कपड़ों-जूतों, दस्तानों और चश्मा-टोपी के साथ चेहरे पर गोल्डन हाइलाइटर लगाते हैं, जिससे वह पूरे सुनहरे रंग के नजर आने लगते हैं।
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19 साल के शैलेंद्र लगभग डेढ़ साल से यह काम कर रहे हैं। वह मूल रूप से यूपी के अयोध्या के हैं, पर बचपन से कानपुर में परिवार के साथ ही हैं।
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कानपुर के गोल्ड बॉय आईटीआई पास हैं। उनके पिता पल्लेदारी करते हैं, जबि मां गृहिणी हैं। घर में उन्हें मिलाकर पांच भाई और एक बहन हैं।
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उन्हें इस काम का आइडिया मुंबई के लिविंग स्टैच्यू (गोल्ड बॉय) गिरिजेश गौड़ को देखकर आया था। घर वालों को बताया तो वे बोले- इस काम में कुछ गलत नहीं है।
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