Jul 29, 2023
पिछले कुछ वक्त से कई दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने हाथ के पंजे से पीछा छुड़ाया है। ऐसे में राजस्थान चुनाव कांग्रेस की सबसे अहम कड़ी सचिन पायलट हैं। वो चाहें कि चुनाव के मुद्दे उनसे पूछकर तय हों।
Credit: PTI
राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच अब कोई गिला शिकवा नहीं है? इसका जवाब किसी को नहीं मालूम, मगर पायलट चाहेंगे कि चुनाव प्रचार की स्ट्रेटेजी में उन्हें शामिल किया जाए।
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पायलट गुट और गहलोत गुट के बीच कांग्रेस पार्टी बीते लंबे वक्त से संतुलन बिठाने की कोशिशों में जुटी हुई है। चुनाव से पहले सचिन पायलट चाहेंगे कि उनके गुट के नेताओं को तवज्जो मिले।
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चुनाव से पहले सचिन पायलट खुद को मजबूत करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वो ये चाहेंगे कि उनके ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट मिले। टिकट बटवारे के वक्त कांग्रेस को खास ध्यान रखना होगा।
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अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की जंग में कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती होगी, सही सीट पर सही नेता को टिकट देना। पायलट चाहेंगे कि जहां उनके अधिक समर्थक हैं, वहां उनके गुट को टिकट मिले।
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सचिन पायलट ये शर्त पार्टी के सामने जरूर रखेंगे कि चुनाव से पहले पार्टी मुख्यमंत्री के चेहरे का नाम ऐलान न करे। इस बार पायलट जरा भी समझौते के मूड में नहीं होंगे।
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अशोक गहलोत की योजनाओं का जमकर प्रचार प्रसार हो रहा है। उन्हें एक आइडियल मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जा रहा है। सचिन पायलट नहीं चाहेंगे कि ये चुनाव गहलोत के नाम पर हो।
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कांग्रेस को उस रणनीति का इस्तेमाल करना होगा कि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे। मगर पिछली बार की तरह इस बार सचिन पायलट सीएम की कुर्सी पर समझौता नहीं करना चाहेंगे।
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2018 से बाद से कई बार सचिन पायलट अपने विधायकों के साथ मिलकर बगावत करने का हिंट दे चुके हैं। अगर पायलट ने बागी तेवर अपना लिए तो राजस्थान में कांग्रेस की फजीहत होनी तय है।
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राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने हाल ही में प्रदेश चुनाव समिति का ऐलान किया था, जिसमें सचिन पायलट गुट के 4 लोगों को शामिल किया गया। कांग्रेस अगर पायलट का साथ चाहती है, तो उसे शर्तें माननी होगी।
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