Sep 25, 2023
आजादी से पहले यानी 1947 तक राजस्थान में करीब 22 रियासतें या रजवाड़े थे। अंग्रेजी में इन्हें प्रिंसली इस्टेट कहा जाता था।
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22 छोटी-बड़ी देसी रियासतों को मिलाकर एकतंत्र को त्याग लोकतंत्र की मुख्यधारा में शामिल कर राजस्थान का गठन किया गया।
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आठ साल तक चले प्रयास और सात विभिन्न चरणों के पश्चात राजस्थान का वर्तमान स्वरूप उभर कर सामने आ पाया।
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अजमेर-मेरवाड़ा प्रांत को छोड़ कर शेष देशी रियासतों पर देशी राजा महाराजाओं का ही राज था।
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राव समिति की सिफारिशों के आधार पर 7 सितम्बर, 1949 को जयपुर राजस्थान राज्य की राजधानी बनी।
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राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासतों में उदयपुर और मेवाड़ की गिनती होती है।
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झालावाड़ राजस्थान की सबसे नई रियासत थी। इसे कोटा से अलग कर रियासत का दर्जा दिया गया।
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क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत जोधपुर (मारवाड़) थी।
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अलवर, भरतपुर, धौलपुर रियासतें समानता के आधार पर यूपी में मिलना चाहती थीं।
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