May 27, 2023

New Parliament: राजस्थानी पत्थर से लेकर मिर्जापुरी कालीन, बेहद भव्य है नया संसद भवन

Ravi Vaish

​नया संसद भवन 64,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में​

नया संसद भवन 64,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में बनाया गया है इसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान हॉल, संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थान बनाया गया है।

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​इसकी वास्तुकला मन मोहने वाली​

नया संसद बेहद अद्भुत है और इसकी वास्तुकला और आधुनिकिरण लोगों का मन मोहने के लिए काफी है, नया संसद भवन बनकर तैयार है।

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मिर्जापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस​

नये संसद भवन में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी भारत की संस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं

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​लकड़ी नागपुर की तो पत्थर राजस्थान से​

नये संसद भवन में प्रयुक्त सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई थी, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से प्राप्त किया गया था।

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​उदयपुर से आया है केशरिया हरा पत्थर​

केशरिया हरा पत्थर उदयपुर से, अजमेर के निकट लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से मंगवाया गया है

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​नये भवन के लिए फर्नीचर मुंबई में हुआ तैयार​

लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में 'फाल्स सीलिंग' के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है, जबकि नये भवन के लिए फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था।

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एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची भावना​

'एक तरह से लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए पूरा देश एक साथ आया, इस प्रकार यह 'एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची' भावना को दर्शाता है।'

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​'एम-रेत' का इस्तेमाल​

नये संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए ठोस मिश्रण बनाने के लिए हरियाणा में चरखी दादरी से निर्मित रेत या ‘एम-रेत’ का इस्तेमाल किया गया था।

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​'फ्लाई ऐश' की ईंटें हरियाणा और यूपी से​

निर्माण में इस्तेमाल की गई 'फ्लाई ऐश' की ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थीं, जबकि पीतल के काम लिए सामग्री और 'पहले से तैयार सांचे' गुजरात के अहमदाबाद से लिये गये।

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​नक्काशी उदयपुर के मूर्तिकारों ने की​

पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा किया गया था और पत्थरों को कोटपूतली, राजस्थान से लाया गया था।

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