Jan 31, 2025
जजिया एक तरह का टैक्स था जो मुगल बादशाह गैर-मुस्लिम लोगों पर लगाते थे।
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मोहम्मद बिन कासिम के दौर में ही जजिया टैक्स की प्रथा शुरू हो गई थी।
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लेकिन हिंदू-मुसलमान के बीच सौहार्द बनाने के लिए 1564 ई. में अकबर ने इस टैक्स को हटा दिया।
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इसके बाद जहांगीर और शाहजहां ने भी जजिया टैक्स नहीं लगाया लेकिन कट्टरपंथी औरंगजेब ने 1679 में इसे दोबारा लागू किया।
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गैर-मुस्लिम लोगों ने जब इस टैक्स को खत्म करने की औरंगजेब से अनुरोध किया तो उसने उन पर हाथी से रौंदवा दिया।
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इसे अपमानजनक तरीके से वसूला जाता था। फौजदार गैर-मसुलमानों से जजिया वसूलने के लिए किसी जगह पर बैठ जाता था।
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जजिया टैक्स देने के लिए लोग नंगे पैर फौजदार तक जाते थे और उसे टैक्स देते थे।
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जजिया टैक्स से बचने के लिए कई लोगों ने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम धर्म अपना लिया।
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कहा जाता है कि लगातार युद्ध लड़ने से औरंगजेब का खजाना खाली हो गया था। इसे भरने के लिए उसने टैक्स लगाया।
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