Aug 1, 2023
BY: शिशुपाल कुमारहर साल मॉनसून में बादल फटने की घटना सामने आती है, खासकर उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू कश्मीर में, इससे कई लोगों की जान भी चली जाती है।
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मौसम विज्ञान की माने तो अगर किसी भी जगह पर 1 घंटे में 10 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश होती है तो इस घटना को बादल का फटना कहते हैं
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वैज्ञानिक भाषा में 'क्लाउडबर्स्ट' या 'फ्लैश फ्लड' भी कहा जाता है, बादल फटने की घटना में बहुत कम समय में अत्यधिक बारिश होती है
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बादल फटने की घटना तब होती है जब भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इक्कठा हो जाते हैं
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ऐसा होने से वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में एक साथ मिल जाती हैं, बूंदों का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि बादल की डेंसिटी बढ़ जाती है, जिसके कारण भारी बारिश हो जाती है।
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सामान्य तौर पर धरती की सतह से 12-15 किलोमीटर की ऊंचाई पर बादल फटने की घटना होती है।
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पहाड़ों की ऊंचाई की वजह से बादल आगे नहीं बढ़ पाते, जिससे वहां बादल फटने की घटना ज्यादा होती है
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बादल फटने से अचानक बाढ़ आ सकती है. इमारतों, घरों, सड़कों और अन्य संपत्ति को भी नुकसान हो जाता है
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बादल फटने की घटना में हर साल कई लोग मारे जाते हैं। यह इतनी जल्दी होता है कि जो भी इसकी चपेट में आते हैं बह जाते हैं
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