Jan 10, 2023
By: ललित रायजोशीमठ कस्बा अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। सवाल यह है कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है। लोग कहते हैं कि एनटीपीसी की सुरंग जिम्मेदार है। लेकिन जानकार कहते हैं कि बात इतनी सी नहीं है।
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जोशीमठ के लोगों का कहना है कि काफी हंगामे के बाद प्रशासन को उनकी सुध आई। लेकिन अब बहुत कुछ हाथ से निकल चुका है।
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प्रशासन की तरफ से कुछ इमारतों को गिराये जाने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि जानकारों के सुझाव के बाद कार्रवाई की जा रही है।
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यह सिर्फ एक घर की तस्वीर है। लेकिन फर्श में दरार की बहुत सी इमारतें गवाह हैं। लोग अपने आंखों के सामने अपने आशियाने को उजड़ते हुए देख रहे हैं।
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सिर्फ घरों में ही दरार नहीं है, बल्कि सड़कें भी अछूती नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी एक सड़के में दरार हो तो बात भी अलग हो। यह तस्वीर पूरे जोशीमठ की है।
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सड़कों में पड़ी हुई दरार इस बात की गवाही दे रही है कि किस तरह से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का नतीजा सामने आ रहा है। जानकारों का कहना है कि अनियंत्रित विकास के भयावह नतीजे अब सबकी आंखों के सामने है।
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जोशीमठ को पहले भी संवेदनशील माना जाता रहा है। करीब 50 साल पहले ही आशंका जाहिर की गई थी कि अगर वैज्ञानिक तरीके से शहर को नहीं बसाया गया तो गंभीर चुनौती का सामना करना होगा।
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जानकारों का कहना है कि यह सिर्फ एक शहर की बात नहीं है। उत्तराखंड में सैंकड़ों ऐसे शहर है जो आने वाले समय में इस तरह की तस्वीर के गवाह बन सकते हैं। अब जरूरी है कि इलाके के भूगर्भीय स्थितियों का अध्ययन करने के बाद ही निर्माण कार्य की इजाजत दी जाए।
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