Nov 1, 2023
इजराइल पर हमास के हमले के बाद एक बार फिर यहूदी चर्चा में हैं। यहूदी पहले भी वीभत्स यातना का शिकार हो चुके हैं। आइए जानते हैं भारत में इनका इतिहास।
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एक वक्त जब यहूदी समुदाय के लोग पूरी दुनिया में नफरत का शिकार हो रहे थे, भारत में उन्हें दिल से स्वीकार किया गया।
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माना जाता है कि भारत में यहूदी 2000 साल पहले आए थे और उन्होंने पहली बार केरल के मालाबार तट पर कदम रखा था। इसके बाद वो धीरे धीरे भारत के हर हिस्से में पहुंच गए।
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भारत में भले ही इनकी आबादी बेहद कम है, लेकिन यहूदी लगभग हर जगह मिल जाएंगे। 2008 में मुंबई नरीमन हाउस में यहूदियों पर हमला हुआ था।
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भारत में मुख्य रूप से यहूदी समुदाय को तीन भागों में विभाजित किया जाता है। पहले नंबर पर आते हैं पश्चिमी भारत के बेने इजराइली यहूदी।
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दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल के बगदादी यहूदी और तीसरे नंबर पर केरल के कोचीन यहूदी आते हैं।
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इसके अलावा, पूर्वोत्तर भारत के बेनेई मेनाशे यहूदी और आंध्र प्रदेश के बेने एफ्रैम यहूदी भी पाए जाते हैं। बेने एफ्रैम यहूदी खुद को तेलुगु यहूदी भी कहते हैं।
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यहूदी भारतीय सेना में भी रहे हैं। 1924 में जन्मे जे.एफ.आर. जैकब ने भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा की थी और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया था।
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