Sep 15, 2023
Credit: isro
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के अध्यक्ष पवन के गोयनका ने इस बारे में जानकारी दी है।
उन्होंने कहा कि वे इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि निजी क्षेत्र किस तरह लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है।
गोयनका ने कहा कि उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। अब तक 23 कंपनियों ने इस प्रौद्योगिकी के लिए आवेदन करने में रुचि दिखाई है।
अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) के तहत स्वायत्त नोडल एजेंसी के रूप में काम करने वाली ‘इन-स्पेस’ का गठन 2020 में हुआ था।
उसने गत जुलाई महीने में एसएसएलवी के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआई) जारी किया था।
गोयनका ने कहा कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एक ऐसी चीज है जिस पर हम बहुत आक्रामक तरीके से काम कर रहे हैं।
इसरो और इन-स्पेस इस प्रक्रिया के लिए मिलकर काम कर रहे हैं और 19 प्रौद्योगिकियां हस्तांतरण के लिए तैयार हैं।
इस समय भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8 अरब डॉलर की है और इसे 2033 तक 44 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है।
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