Aug 11, 2023
तिरंगे के ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। श्वेत पट्टी पर अशोक चक्र अंकित है। इसे सारनाथ मंदिर से लिया गया है।
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इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गतिशील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है। पहले राष्ट्रीय ध्वज को घरों पर फहराने से मनाही थी।
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26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया। इसके बाद घरों, कार्यालयों और फैक्टरी में इसे फहराने की अनुमति मिल गई।
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राष्ट्रीय ध्वज को फहराते समय कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है। तिरंगा को फहराते समय यह सुनिश्चित करना होता है कि उसकी शान में कोई कमी न आए।
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आज हम जो झंडा फहराते हैं, वह मूल रूप से आंध्र प्रदेश के एक शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकय्या द्वारा डिजाइन किया गया था।
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22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक में भारतीय ध्वज को आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया था।
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भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को पहली बार भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त, 1947 को दिल्ली के लाल किले के लाहौरी गेट पर फहराया था।
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भारतीय सेना द्वारा 15 जनवरी, 2022 को जैसलमेर में सेना दिवस के अवसर पर दुनिया का सबसे बड़ा तिरंगा फहराया गया।
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यदि कोई व्यक्ति फ्लैग कोड ऑफ इंडिया का पालन न करते हुए गलत तरीके से तिंरगे को फहराता है तो उसे सजा भी हो सकती है।
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