इस गुफा के दूसरे छोर का आजतक नहीं चला पता

Dec 17, 2022

By: शिशुपाल कुमार

कहां है ये किला

यह किला बिहार के मुंगेर जिले में स्थित है। इसके एक छोर पर मुंगेर स्थिति है, जबकि दूसरे छोर का आजतक पता नहीं चला है।

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मीर कासिम के जमाने का गुफा

कहा जाता है कि इस गुफा का निर्माण मीर कासिम ने करवाया था। नवाब मीर कासिम ने मुंगेर में गंगा नदी के कष्टहरणी घाट किनारे सन 1760 ई. में इस गुप्त गुफा का निर्माण करवाया था।

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अंग्रेजों से बचने की जगह

कहा जाता है कि इस गुप्त गुफा को अंग्रेजों के हमले से बचने के लिए बनाया गया था।

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आज है कृष्ण वाटिका

मुंगेर जिला प्रशासन ने इस गुप्त गुफा को सुरक्षित रखने के लिए कई उपाय किए हैं। आज की तारीख में प्रशासन ने इसके चारों तरफ से घेरकर एक छोटा सा पार्क बना दिया है। जिसे श्रीकृष्ण वाटिका कहा जाता है। (प्रतीकात्मक फोटो)

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मीर कासिम के बच्चों का मकबरा

इसी वाटिका में मीर कासिम के बेटे प्रिंस बहार और बेटी राजकुमारी गुल का मकबरा है। (प्रतीकात्मक फोटो)

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अंग्रेजों ने कासिम के बच्चों को दिया था मार

स्थानीय लेवल पर दावा किया जा है कि मीर कासिम के बच्चे जब इस गुफा से छिपकर जा रहे थे, तब अंग्रेज सिपाहियों ने दोनों को मार डाला था।

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पहनते थे बाघ की खाल

कहा जाता है कि मीर कासिम के बच्चे जब इस गुफा से निकलते थे, तब बाघ की खाल पहनते थे। ताकि उनकी पहचान छिपी रहे।

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250 साल का इतिहास

इस गुफा का इतिहास 250 साल पुराना है। यह गुफा 250 साल पहले बनाया गया था।

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कहां है दूसरा छोर

दावा किया जाता है कि दूसरा छोर मुंगेर के मुफस्सिल थाना क्षेत्र की पीर पहाड़ी के पास निकलता है। लेकिन इसकी पुष्टि आजतक नहीं हो पाई है।

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