Oct 16, 2023

भारत ने भी बनाई कोरोना वैक्सीन, लेकिन विदेशियों को ही क्यों मिला नोबेल?

प्रांजुल श्रीवास्तव

​इन्हें मिला नोबेल​

साल 2023 में मेडिसिन का नोबेल प्राइज दो वैज्ञानिकों कैटिरन कारिको और ड्रू वीसमैन को मिला है।

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​इजाद की mRNA टेक्नोलॉजी​

इन दोनों वैज्ञानिकों ने mRNA टेक्नोलॉजी इजाद की, जिससे कोरोना वैक्सीन बनाई गई।

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​भारत में बनी थी कोरोना वैक्सीन​

हालांकि, लोगों के मन में एक सवाल है कि भारत ने भी कोरोना वैक्सीन बनाई थी, लेकिन दो विदेशियों को ही नोबेल के लिए क्यों चुना गया?

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​पहली mRNA वैक्सीन​

दरअसल, कोरोना महामारी के समय यह पहली बार हुआ था जब mRNA टेक्नोलॉजी पर बेस्ड वैक्सीन बनाई गई थी।

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​काली अलग है ये टेक्नोलॉजी​

mRNA टेक्नोलॉजी से बनी वैक्सीन परंपरागत वैक्सीन से काफी अलग और प्रभावी होती है।

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​क्या होता है mRNA​

mRNA जेनेटिक कोड का एक छोटा सा हिस्सा है, जो हमारी कोशिकाओं में प्रोटीन बनाता है।

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​कैसे करती है काम?​

इस टेक्नोलॉजी में वायरस के जेनेटिक कोड का एक हिस्सा लेते हैं और उसे वैक्सीन में तब्दील कर दिया जाता है।

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​शरीर में वैक्सीन जाने के बाद क्या होता है?​

कोशिकाओं में दाखिल होते ही यह वैक्सीन, सेल्स से कोरोनावायस स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए कहती है।

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​ये भी जानिए​

इससे एंटीबॉडीज का निर्माण होता है और वे टी-सेल को एक्टीवेट कर देती है। ये स्पाइक प्रोटीन वाले सेल को नष्ट कर देते हैं।

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​इम्यूनिटी को बनाती है मजबूत​

एक तरह से यह वैक्सीन शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को वायरस के खिलाफ लड़ने का प्रशिक्षण देती है।

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