Oct 20, 2023

कैसे परवान चढ़ी भारत और इजरायल की दोस्ती? इस 'चाणक्य' का था अहम रोल

Amit Mandal

फिलिस्तीन के साथ था भारत

भारत कभी उन देशों में से एक था, जिसने फिलिस्तीन के बंटवारे का यूएन में विरोध किया था। लेकिन बाद में ऐसे हालत बने कि इजरायल के साथ भारत की दोस्ती परवान चढ़ने लगी।

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इजरायल से दोस्ती का मतलब...

सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि इजरायल से दोस्ती का मतलब अरब देशों से दुश्मनी थी। लेकिन बदलते वक्त के साथ भारत ने भी जरूरत के हिसाब से अपना स्टैंड बदला।

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नरसिम्हा राव सरकार का बड़ा कदम

कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार ने 1992 में इजरायल के साथ पूरी तरह से राजनायिक संबंध कायम किए। राव को सियासत का चाणक्य भी कहा जाता था।

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फिर अमेरिका पड़ा नर्म

इसके बाद इजरायल और भारत में दोनों देशों के दूतावास खुले। इजरायल से दोस्ती के बाद अमेरिका भी भारत को लेकर नर्म पड़ गया।

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इजराइल ने दिए सैन्य उपकरण

फिर इजरायल आतंकवाद से जूझ रहे भारत को सैन्य उपकरणों की सप्लाई करने लगा। दोनों की दोस्ती और गहराने लगी।

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हर सरकार में संबंध रहे मजबूत

चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की, दोनों ही सरकारों में इजरायल और फिलिस्तीन के साथ संबंध हमेशा मजबूत रहे हैं।

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भारत-इजराइल आतंकवाद से पीड़ित

भारत और इजराइल की सबसे बड़ी समानता ये है कि दोनों ही आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं।

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भारत-इजराइल में सबसे बड़ी समानता

जहां इजराइल में यहूदियों की सबसे बड़ी आबादी रहती है, वहीं भारत में भी सबसे अधिक हिंदू आबादी है। दुनिया में ये दोनों ही समुदाय अल्पसंख्यक हैं।

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मुंबई हमले के बाद दोस्ती और मजबूत

भारत-इजराइल दोस्ती 2011 के मुंबई हमले के दौरान और परवान चढ़ी जब पाक से आतंकियों ने मुंबई में यहूदी सेंटर नरीमन हाउस को निशाना बनाया था।

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